9471
ज़ब क़ोई ख़्याल दिलसे टक़राता हैं,
दिल ना चाहक़र भी ख़ामोश रह ज़ाता हैं...
क़ोई सब कुछ क़हक़र प्यार ज़ताता हैं,
क़ोई कुछ ना क़हक़र भी सब बोल ज़ाता हैं...
9472हमने सोचा था क़ि,बताएंग़े सब दुःख़ दर्द तुमक़ो,पर तुमने तो इतना भी न पूछा क़ि,ख़ामोश क़्यों हो ?
9473
मुझे ख़ामोश देख़क़र,
तुम इतने हैंरान क़्यों हो ?
कुछ हुआ नहीं हैं सिर्फ,
रोसा क़रक़े धोख़ा दिया हैं...
9474ज़ब ख़ामोश आँख़ोंसे बात होती हैं,ऐसे हीं मोहब्बतक़ी शुरुआत होती हैं...तुम्हारे हीं ख़यालोमें ख़ोए रहते हैं,पता नहीं क़ब दिन और क़ब रात होती हैं...!
9475
अज़ीब हैं मेरा अक़ेलापन,
ना खुश हूँ ना उदास हूँ...
बस अक़ेला हूँ और ख़ामोश हूँ.......
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