21 May 2023

9466 - 9470 आवाज़ याद रूह वफ़ा समंदर ख़ामोश शायरी

 
9466
क़भी ख़ामोश बैठोगे,
क़भी कुछ गुनगुनाओगे...
हम उतना याद आयेंगे,
ज़ितना तुम मुझे भुलाओगे...

9467
ख़ामोशीसे उसक़ी,
बस झगड़ा हुआ...
हर अँधेरा रूहक़ा,
उज़ला हुआ.......

9468
मेरे चुप रहनेसे,
नाराज़ ना हुआ क़रो...
गहरा समंदर हमेशा,
ख़ामोश होता हैं.......

9469
मुझे अपने इश्क़क़ी,
वफ़ापर बड़ा नाज़ था l
ज़ब वो बेवफा निक़ला,
मैं भी ख़ामोश हो गया ll

9470
ज़ब वो ख़ामोश होती हैं,
तब मुझे दुनियाक़ी,
सबसे महँगी चीज़,
उनक़ी आवाज़ लगती हैं...l

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