24 May 2023

9481 - 9485 दिल आरज़ू वज़ह राज़ नाज़ुक़ बेवफ़ाई तक़लीफ ख़ामोश शायरी

 
9481
राज़ ख़ोल देते हैं,
नाज़ुक़ इशारे अक़्सर...
क़ितनी ख़ामोश,
मोहब्बतक़ी ज़ुबान होती हैं...

9482
ख़ामोश बैठे हैं तो लोग क़हते हैं,
उदासी अच्छी नहीं l
और ज़रासा हंसलें,
तो लोग मुस्क़ुरानेक़ी वज़ह पूछ लेते हैं ll

9483
क़्या लिखूं दिलक़ी हक़ीक़त,
आरज़ू बेहोश हैं...
ख़तपर हैं आँसू गिरे,
और क़लम ख़ामोश हैं.......

9484
सारी दुनियाक़े रूठ ज़ानेसे,
मुझे क़ोई फ़र्क़ नहीं...
बस एक़ तेरा ख़ामोश रहना,
मुझे तक़लीफ देता हैं.......

9485
क़ब तलक़ ज़ीते सनम,
ख़ामोश--ज़िंदग़ी...
इक़ इक़ दिन तो तेरी,
बेवफ़ाईक़ा इक़रारनामा क़रना था ll

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