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9 June 2018

2856 - 2860 दिल बात दिन रात किस्मत खुबसुरत अदालत फैसले मंजूर आँख ख़याल ज़माना पत्थर शायरी


2856
आधा बुझा दिन मिलता हैं,
आधी जली रातसे,
और वो कहते हैं की,
क्या खुबसुरतसी शाम हैं

2857
काग़ज़पें तो,
अदालत चलती हैं...
हमने तो तेरी आँखोंके,
फैसले मंजूर किये।

2858
दिलसे पूछो तो,
आज भी तुम मेरे ही हो...
ये ओर बात हैं कि,
किस्मत दग़ा कर गयी।

2859
हँसी यूँ ही नहीं आई,
इस खामोश चेहरेपर...
कई जख्मोंको सीनेमें,
दबाकर रख दिया हैं हमने...

2860
शायद ये ज़माना,
उन्हें भी पूजने लगे,
कुछ लोग इसी ख़यालसे,
पत्थरके होने लगे.......