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2 July 2020

6111 - 6115 शाम ख़्वाहिशें हुनर तलब अजीब मुश्किल सौदा औक़ात बात बरसात साथ हालात शायरी


6111
एक तो ये रात,
उफ़ ये बरसात,
इक तो साथ नही तेरा,
उफ़ ये दर्द बेहिसाब;
कितनी अजीब सी हैं बात,
मेरे ही बसमें नही मेरे ये हालात...ll

6112
रस्सी जैसी ज़िंदगी,
तने तने हालात हैं...
एक सिरेपर ख़्वाहिशें तो,
दूजे पर औक़ात हैं.......

6113
मुश्किलोंसे कह दो,
उलझा ना करे हमसे...
हमें हर हालातमें,
जीनेका हुनर आता हैं...

6114
जिसको तलब हो हमारी,
वो लगाये बोली...
सौदा बुरा नहीं,
बस हालात बुरे हैं.......

6115
हम भी इक शाम,
बहुत उलझे हुए थे ख़ुदमें...
एक शाम उसको भी,
हालातने मोहलत नहीं दी...
                    इफ़्तिख़ार आरिफ़