12 November 2019

5016 - 5020 दिल जिन्दगी निगाह तलब तमन्ना तन्हा ज़ुल्फ़ जुर्म इल्ज़ाम सलाम ख़्वाब शायरी


5016
तेरी तलबकी हदने,
ऐसा जूऩून बख्शा है सनम...
हम नींदसे उठ गए,
तुझे ख़्वाबमें तन्हा देखकर...!

5017
"ख्वाबों की ज़मीं पर रखा था पाँव,
छिल गया
कौन कहता है...
ख्वाब मखमली होते है.......

5018
इतनीसी ज़िंदगी हैं पर,
ख़्वाब बहुत हैं...
जुर्मका तो पता नहीं पर,
इल्ज़ाम बहुत हैं.......!

5019
 जाने सालों बाद कैसा समां होगा,
क्या पता कौन कहा होगा;
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबोंमे,
जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबोंमे.......

5020
हज़ूर आपका भी एह्तराम करता चलूँ l
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूँ ll

निगाह--दिलकी यही आख़री तमन्ना है l
तुम्हारी ज़ुल्फ़के सायेमें शाम करता चलूँ ll

उन्हे ये ज़िदके मुझे देखकर किसीको ना देख l
मेरा ये शौकके सबसे कलाम करता चलूँ ll

ये मेरे ख़्वाबोंकी दुनिया नहीं सही लेकिन l
अब गया हूँ तो दो दिन क़याम करता चलूँ ll

                                                       शादाब लाहौरी

11 November 2019

5011 - 5015 दिल दुनिया आँखें जज्बात अहसास तलब साँस मुलाक़ात शराब हकीक़त ख़्वाब शायरी


5011
ख़्वाबोंमें मिलनेका,
एक फायदा ये भी है...
कि वो मुझे छू लेते हैं,
पूरी दुनियाके सामने...!

5012
तलब करे तो मैं अपनी,
आँखें भी उन्हें दे दूँ...
मगर ये लोग मेरी,
आँखोंके ख़्वाब मांगते हैं...!

5013
बिन दिलके जज्बात अधूरे,
बिन धड़कन अहसास अधूरे... 
बिन साँसोंके ख़्वाब अधूरे,
बिन तेरे हम कब हैं पूरे...!

5014
मुलाक़ातें तो आज भी,
हो जाती हैं तुमसे...
मेरे ख़्वाब किसी मजबूरीके,
मोहताज़ नहीं है.......!

5015
समंदर सारे शराब होते तो,
सोचो कितने फसाद होते...
हकीक़त हो जाते ख़्वाब सारे तो,
सोचो कितने फसाद होते...!
                            मिर्ज़ा ग़ालिब

10 November 2019

5006 - 5010 फ़ुर्सत आँखें शिकवा जरूरत दहलीज़ ख़्वाब ख़्वाहिश शायरी


5006
कभी जो फ़ुर्सत मिले,
तो मुड़कर देख लेना...
तुझे पानेकी ख़्वाहिश,
मुझे आज भी हैं.......!

5007
ख़्वाहिशोंका मोहल्ला बड़ा था,
हम जरूरतोंकी गलीसे मुड़ गये...

5008
जीनेकी ख़्वाहिश थी,
लेकिन अब नहीं है;
शिकवा भी तुमसे,
आखिर मैं क्यूँ करूं...?

5009
ख़्वाहिशें कम हो,
तो पत्थरों पर भी नींद जाती हैं;
वरना मखमल का बिस्तरभी,
चुभता हैं.......

5010
रात देर तक तेरी ख़्वाहिश,
बैठी रहीं आँखोंकी दहलीज़पर... 
खुद आना था तो कोई,
ख़्वाब ही भेज दिया होता...!

8 November 2019

5001 - 5005 कश्मकश दफ़न फरिश्ता हुनर दम अस्लियत ख़्वाहिश शायरी


5001
ये कश्मकश है ज़िंदगीकी,
कि कैसे बसर करें...;
चादर बड़ी करें या...
ख़्वाहिशे दफ़न करे...!

5002
मेरी ख़्वाहिश है की,
मैं फिरसे फरिश्ता हो जाऊँ...
माँसे इस तरह लिपटूँ की,
बच्चा हो जाऊँ.......!

5003
बुलन्दियोंको पानेकी,
ख़्वाहिश तो बहुत है मगर;
दूसरोंको रोंदनेका,
हुनर कहाँसे लाऊँ...

5004
हजारो ख़्वाहिशे ऐसी के...
हर ख़्वाहिशपे दम निकले...!

5005
ख़्वाहि तो रहती है,
के सब मुझे पहचाने !
लेकिन...
डर भी रहता है कि,
कोई मेरी अस्लियत ना पहचाने...!

7 November 2019

4996 - 5000 जिन्दगी जरुरत अधूरा आँखे बेइंतहा बात ख़्वाब ख़्वाहिश शायरी


4996
ख़्वाहिश है की,
तुम मेरी हो...
या फिर,
ये ख़्वाहिश तेरी हो...!

4997
जरुरत और ख़्वाहिश,
दोनो तुम ही हो...
खुदा करे की कोई,
एक तो पुरी हो...!

4998
सिर्फ ख़्वाब होते,
तो क्या बात होती...
वो  तो ख़्वाहिश बन बैठे,
वो भी बेइंतहा.......!

4999
कुछ ख़्वाहिशोंका,
अधूरा रह जाना ही ठीक है;
जिन्दगी जीनेकी ख़्वाहिश,
बनी रहती है.......!

5000
आँखे आपकी हो,
या मेरी हो;
बस इतनीसी ख़्वाहिश है...
कभी नम हो.......!

6 November 2019

4991 - 4995 ज़िंदगी परिंदे कश़मकश इंतज़ार बात दामन ख्वाहिश वादा शायरी


4991
पूछ रही है आज,
मेरी शायरीयाँ मुझसे कि...
कहां उड गये वो परिंदे,
जो वादा किया करते थे...

4992
मुद्दत हो गयी,
इक वादा किया था उन्होनें;
कश़मकशमें हूँ,
याद दिलाऊँ की इंतज़ार करूँ मैं...

4993
वादा करते तो कोई बात होती,
मुझे ठुकराते तो कोई बात होती;
यूँ ही क्यों छोड़ दिया दामन,
कसूर बतलाते तो कोई बात होती...

4994
वादा था ज़िंदगीसे,
करेंगे ख़ुदकुशी...
अपनी ही ज़बान तले
दबके मर गए हम...

4995
हमने तो उसकी हर ख्वाहिश,
पूरी करनेका वादा किया था...
पर हमें क्या पता था की,
हमें छोडना भी उसकी एक ख्वाहिश होगी...!

5 November 2019

4986 - 4990 दुनियाँ मोहब्बत मेहबूब वक्त बात दिल शायरी


4986
दिलमें छुपाके रखी है,
मोहब्बतकी चाहतें...
मेहबूबसे जरा कह दो,
अभी बदला नहीं हूँ मैं...!

4987
बस दिलको जीतनेका,
मक़सद रखना...
वरना दुनियाँ जीतकर तो,
सिकन्दर भी ख़ाली हाथ गया था...

4988
वक्तके पन्ने पलटकर,
फ़िर वो हसीं लम्हे जीनेको दिल चाहता है;
कभी मुस्कुराते थे उनसे मिलकर,
अब उन्हें साथ देखनेको दिल तरस जाता है !

4989
कितने ही दिल,
तोड़ती है ये फरवरी...
यूँ ही नही बनाने वालेने,
इसके दिन घटाये होंगे...!

4990
काश मेरी कही अनकही हर बात,
सिधे तेरे दिलतक पहुंचे...
और वो मूरत बनके तुमसे निकलके,
सिधे मेरे दिलमें समाए.......!
                                               भाग्यश्री

4 November 2019

4981 - 4985 मोहब्बत मेहबूब परेशान बोझ आईना वादे बात दिल शायरी


4981
दिल कर रहा है,
किसीको परेशान करूँ;
लेकिन शांतिसे जी कौन रहा है,
ये पता नहीं लग रहा.......!

4982
वैसे ही कुछ कम नहीं थे,
बोझ दिलपर...
कम्बख़्त, ये दर्जी भी,
जेब बायीं ओर सिल देता है...!

4983
कहते है दिलकी बात,
हर किसीको बताई नहीं जाती;
पर तुम तो आईना हो...
और आईनेसे कोई बात छुपाई नहीं जाती...!

4984
दिलमें छुपाके रखी है,
मोहब्बतकी चाहतें...
मेहबूबसे जरा कह दो,
अभी बदला नहीं हूँ मैं...!

4985
सचका हवाला देके,
झूठ बोलनेका हक है तुम्हे;
सौ वादे करके,
वो ना निभानेका हक है तुम्हे;
बस हो सके तो कभी,
मेरे दिलमें अपने दिलसे झाँको;
क्यूंकी इसीने सब,
हक सौंप दिये है तुम्हे.......!
                                        भाग्यश्री

4976 - 4980 दुनिया अमीर दौलत रिश्ते प्यार तारीफ क़ाबिल किस्मत चेहरे बात दिल शायरी


4976
अमीर तो हम भी बहुत थे,
पर दौलत सिर्फ दिलकी थी;
खर्च भी बहुत किया दोस्त,
पर दुनियामें गिनती सिर्फ नोटोंकी हुई...

4977
छोटी छोटी बातें दिलमें रखनेसे,
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं...

4978
प्यारमें कोई तो दिल तोड देता है,
दोस्तीमें कोइ तो भरोसा तोड देता है;
जीन्दगी जीना तो कोइ गुलाबसे सीखे,
जो खुद टुट कर दो दिलोको जोड देता हैँ...

4979
कहाँसे लाऊं वो शब्द,
जो तेरी तारीफके क़ाबिल हो;
कहाँसे लाऊं वो चाँद,
जिसमें तेरी ख़ूबसूरती शामिल हो;
मेरे "मेहबूब",
एक बार बता दे मुझकों...
कहाँसे लाऊं वो किस्मत,
जिसमें तु बस मुझे हांसिल हो...!

4980
किसने हाँ,
बढती उम्र सुंदरताको,
कम करती है...
ये तो बस,
चेहरेसे उतरकर,
दिलमें जाती है...!

3 November 2019

4971 - 4975 मशहूर पैमाना दर्द लाजवाब जज्बात अल्फ़ाज दिल शायरी


4971
शोहरतोंका पैमाना,
सिर्फ पैसा नहीं होता है...
जो दिल पर राज करे,
वो भी मशहूर होता है...!

4972
खूबियाँ इतनी तो नही हममे की,
किसीके दिलमे हम घर बना पाएंगे;
पर भुलाना भी आसान ना होगा हमें,
साथ कुछ ऎसा निभा जाएँगे.......!

4973
हर दिलके कुछ,
अपने दर्द होते हैं...
कुछ के फ़ीके,
कुछ के लाजवाब होते हैं...!

4974
दिल तुम किसीसे भी लगा लो...
जज्बात हम ही से जुड़े रहेंगे.......!

4975
जब सन्नाटा फ़ैल जाये,
तो समझ लेना.......
कि अल्फ़ाज गहरे उतरे हैं,
दिलमें.......!