4981
दिल कर रहा
है,
किसीको
परेशान करूँ;
लेकिन शांतिसे जी
कौन रहा है,
ये पता नहीं
लग रहा.......!
4982
वैसे ही कुछ
कम नहीं थे,
बोझ दिलपर...
कम्बख़्त, ये दर्जी भी,
जेब बायीं ओर
सिल देता है...!
4983
कहते है दिलकी बात,
हर किसीको
बताई नहीं जाती;
पर तुम तो
आईना हो...
और आईनेसे
कोई बात छुपाई
नहीं जाती...!
4984
दिलमें छुपाके रखी है,
मोहब्बतकी चाहतें...
मेहबूबसे
जरा कह दो,
अभी बदला नहीं
हूँ मैं...!
4985
सचका हवाला
देके,
झूठ बोलनेका हक है
तुम्हे;
सौ वादे करके,
वो ना
निभानेका हक
है तुम्हे;
बस हो सके
तो कभी,
मेरे
दिलमें अपने
दिलसे झाँको;
क्यूंकी इसीने सब,
हक
सौंप दिये है
तुम्हे.......!
भाग्यश्री
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