18 November 2019

5051 - 5055 मोहब्बत नाराज नींद फसाने बेखबर महफिल उल्फ़त दिल्लगी बात शायरी


5051
एक बात मेरी समझमें नहीं आती...
तुम जब भी नाराज हो जाते हो,
तो ये नींद कहा खो जाती हैं.......!

5052
फसानेकी बात जमानेके खबर,
ना करो ऐसे हमे बेखबर;
महफिल तो हंम बनाते जायेंगे बस,
आप आगे और हम पिछे पिछे...

5053
उल्फ़तकी बात है हूज़ूर,
सलीक़ेसे कीजिये...
महज़ फ़रवरीकी दिल्लगी,
मोहब्बत नहीं हुआ करती...

5054
हाथपर हाथ रखा उसने,
तो मालूम हुआ...
अनकही बातको,
किस तरह सुना जाता है...!

5055
उफ्फ्फ्फ्फ्फ... क्या बात है तुममें ऐसी,
इतनें अच्छे क्यों लगते हो...!
जाने क्या क्या कहते है लोग,
मगर तुम मुझे अपने लगते हो...!!!

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