11 November 2019

5011 - 5015 दिल दुनिया आँखें जज्बात अहसास तलब साँस मुलाक़ात शराब हकीक़त ख़्वाब शायरी


5011
ख़्वाबोंमें मिलनेका,
एक फायदा ये भी है...
कि वो मुझे छू लेते हैं,
पूरी दुनियाके सामने...!

5012
तलब करे तो मैं अपनी,
आँखें भी उन्हें दे दूँ...
मगर ये लोग मेरी,
आँखोंके ख़्वाब मांगते हैं...!

5013
बिन दिलके जज्बात अधूरे,
बिन धड़कन अहसास अधूरे... 
बिन साँसोंके ख़्वाब अधूरे,
बिन तेरे हम कब हैं पूरे...!

5014
मुलाक़ातें तो आज भी,
हो जाती हैं तुमसे...
मेरे ख़्वाब किसी मजबूरीके,
मोहताज़ नहीं है.......!

5015
समंदर सारे शराब होते तो,
सोचो कितने फसाद होते...
हकीक़त हो जाते ख़्वाब सारे तो,
सोचो कितने फसाद होते...!
                            मिर्ज़ा ग़ालिब

No comments:

Post a Comment