17 November 2019

5041 - 5045 रंग जुदाई मोहब्बत नफ़रत किरदार अंदाज रवैये बात शायरी


5041
एक ही बात,
सीखती हूँ मैं रंगोंसे...
ग़र निखरना है तो,
बिखरना ज़रूरी है...!

5042
अब अगर मेल नहीं है,
तो जुदाई भी नहीं...
बात तोड़ी भी नहीं तुमने,
तो बनाई भी नहीं.......

5043
इसी बातने उसे,
शकमें डाल दिया हो शायद...
इतनी मोहब्बत, उफ्फ...
कोई मतलबी ही होगा...!

5044
नफ़रत हो जायेगी तुझे,
अपने ही किरदारसे...
अगर मैं तेरे ही अंदाजमें,
तुझसे बात करुं.......

5045
बात करते करते गुम हो जाना तो,
कोई आपसे सिखे;
इसी रवैयेसे हमपे क्या बिते,
बस के एक बार तो देखे...!
                                          भाग्यश्री

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