4996
ख़्वाहिश
है की,
तुम मेरी हो...
या फिर,
ये ख़्वाहिश तेरी हो...!
4997
जरुरत और ख़्वाहिश,
दोनो तुम ही
हो...
खुदा करे की
कोई,
एक तो पुरी
हो...!
4998
सिर्फ ख़्वाब होते,
तो क्या बात
होती...
वो तो
ख़्वाहिश बन बैठे,
वो भी बेइंतहा.......!
4999
कुछ ख़्वाहिशोंका,
अधूरा रह जाना
ही ठीक है;
जिन्दगी
जीनेकी ख़्वाहिश,
बनी रहती है.......!
5000
आँखे आपकी हो,
या मेरी हो;
बस इतनीसी
ख़्वाहिश है...
कभी नम न
हो.......!
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