5076
कहाँ मिलता हैं,
कभी कोई समझने
वाला...
जो भी मिलता हैं,
समझा के चला
जाता हैं...
5077
नादान लोग ही,
जीवनका आनंद
लेते हैं;
हमने ज्यादा समझदारोंको,
मुश्किलोमे ही देखा हैं...
5078
अब समझ लेते
हैं,
मीठे लफ़्ज़की कड़वाहटें...
हो गया है
ज़िंदगीका,
तजुर्बा
थोड़ा बहुत.......
5079
ज़िन्दगीकी उलझने,
हमारी शरारते कम कर
देती हैं;
और लोग समझने
लगते हैं,
हम समझदार हो गए.......
5080
जायका अलग हैं,
हमारे लफ़्जोका...
कोई समझ नहीं
पाता,
कोई भुला नहीं
पाता...!
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