5086
क़ाश,
समझना...
समझाने जितना,
आसान होता.......
5087
जिन्दगीको समझना बहुत
मुश्किल हैं;
कोई सपनोंकी खातिर
अपनोंसे दूर
रहता हैं,
और कोई अपनोंके खातिर सपनोंसे दूर.......
5088
शीशेकी तरह,
आर पार हूँ...
फिर भी,
अपनोंकी समझसे बाहर हूँ...!
5089
ऐसा लगता है,
बड़ा मुश्किल सवाल था 'मैं'...
तभी तो उम्रभर मुझे,
कोई भी समझ
नहीं पाया.......!
5090
मैं झुक गया
तो,
आप कमजोर समझ बैठे...
मैं तो इन्सानियत
निभा रहा था,
आप खुदको ईश्वर समझ बैठे...!
No comments:
Post a Comment