26 November 2019

5091 - 5095 जिदंगी उम्र हमसफ़र नाराज सुख दुनिया रिश्ता शायरी


5091
जिदंगीमें कभी भी किसीको,
बेकार मत समझना, क्यो क़ि...
बंद पडी घडी भी दिनमें,
दो बार सही समय बताती है...!

5092
पसीना उम्रभरका,
उसकी गोदमें सूख जायेगा...
हमसफ़र क्या चीज है,
ये बुढ़ापेमें समझ आयेगा...!

5093
हमें कहाँ मालूम था कि,
सुख और उम्रकी आपसमें बनती नहीं...
कड़ी महेनतके बाद सुखको घर ले आये,
तो उम्र नाराज होकर चली गई.......

5094
दुनियाका रवैया भी बडा अजीब है l 
मरे हुए इँसानको कन्धां देना,
पुण्य समझती है;
और जिन्दा आदमीको,
सहारा देनेसे कतराती है.......ll

5095
इस कदर जो,
आपको हँसा रहा हूँ मैं...
समझना कोई,
रिश्ता बना रहा हूँ मैं...
स्वार्थ है मेरा,
और स्वार्थी हूँ मैं...
बस अपनी अर्थीके पीछे,
चलने वालोकी...
तादात बढ़ा रहा हूँ मैं.......!

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