3 April 2017

1177


शक तो था मुहब्बत में
नुकसान ही होगा फ़राज़।
पर सारा हमारा ही होगा
ये मालूम न था.......

1176


औकात क्या है तेरी ऐ फ़राज़।
चार दिन की मुहब्बत भी
तुझे तबाह कर देती है.......

1 April 2017

1175


कर अपने दर्द दिल की नुमाइश
शायरी में बयां फ़राज़।

लोग और टूट जाते है
हर लफ्ज को अपनी दास्तान समझकर.......

1174


झूठ बोलने का रियाज
करता हूँ मैं सुबह शाम फ़राज़।

सच बोलने की अदा ने
हमसे कई अजीज यार छिन लिए.......

1173


बिछड़ना है तो यूँ करो
रूह से निकल जाओ फ़राज़।

रही बात दिल की
तो उसे हम देख लेंगे.......

1172


अब तेरी आँखों में
ये आँसू किसलिए फ़राज़।

जब छोड़ ही दिया था
तो भुला भी दिया होता.......

1171


सुना है तुम ले लेते हो बदला
हर बात का फ़राज़।
आजमाएंगे कभी
तेरे लबों को चूम के........

31 March 2017

1170


बस जीने ही तो,
नहीं देगी फ़राज़।
और क्या कर लेगी,
तेरी यादें.......

1169


बिना मतलब के दिलासे भी,
नहीं मिलते यहाँ मोहसिन।
लोग दिल में भी,
दिमाग लिए घूमते है.......

1168


साँसों का टूट जाना तो,
आम बात है मोहसिन।
जहा अपने बदल जाये,
उसे तो मौत  कहते है.......

1167


सीने पे तीर खाके भी,
अगर कोई मुस्करा दे मोहसिन।
निशाना लाख अच्छा हो,
मगर बेकार हो जाता है.......

1166

तेरी ख्वाइश कर ली तो,
कौनसा गुनाह कर लिया मोहसिन।
लोग तो दुआओं में,
पूरी कायनात मांग लिया करते है …….!

30 March 2017

1165


चलो चाँद का किरदार,
अपना लेते है फ़राज़।
दाग अपने पास रखके,
रोशनी बाँट देते है…….

1164


सुना है दिल समंदर से भी,
गहरा होता है फ़राज़।
फिर क्यूँ नही समाया,
कोई और उसके सिवा.......

1163


अगर तुम्हे यकीन नही,
तो कहने को कुछ नही मेरे पास फ़राज़।
अगर तुम्हे यकीन है,
तो मुझे कुछ कहने की जरूरत ही नही.......

1162


कितना कुछ जानता होगा,
वो शख्स मेरे बारे मे फ़राज़।
मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया,
की तुम उदास क्यूँ हो.......

1161


अब मौत से कह दो,
हमसे नाराजगी ख़त्म भी करे फ़राज़।
वो बहुत बदल गए है,
जिनके लिए हम जिया करते थे.......

29 March 2017

1160


करता है वो मेरे
ज़ख़्मों का इलाज फ़राज़।
कुरेद कर देख लेता है रोज
और कहता है वक़्त लगेगा . . . . . . .

1159


वो मुझसे पूछती है
ख्वाब किस किस के देखते हो फ़राज़
बेखबर जानती ही नही
यादें उसकी सोने कहाँ देती है. . . . . . .

1158


ये दिल ही तो जानता है
मेरी पाक मुहब्बत का आलम फ़राज़।
के मुझे जीने के लिए
साँसों की नही तेरी जरूरत है . . . . . . .