29 April 2017

1267


गुमान था कि कोई दुश्मन
जान नहीं ले सकता...
तेरे वार का तो ख्याल तक

नहीं था.......

1266


एहसासों के सागर में आज लहरें हैं मचल रही,
समझ नही रही हैं की साहिल है या मजधार है,
हम कह चुके हज़ारों बार आँखों से अपने यह बात,

कहना है आज होठों से की हम को उन्ही से प्यार है…

28 April 2017

1265


कोई होंठो पे,
उगलियाँ रख गया था,

उसी दिन से,
मैं लिख कर बोलता हूँ . . . !

1264


आइना फिर आज
रिश्वत लेते पकड़ा गया...
दिल में दर्द था...

फिर भी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया...!!

1263


इशारों में होती महोब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बन के रह जाता ‘ताज महल’

अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता...

1262


महोब्ब्त दिल में कुछ ऐसी होनी चाहिये...
की हासिल भले दुसरे को हो,
पर कमी उसको ज़िन्दगी भर,
अपनी होनी चाहिये...!

1261


नहीं छोड़ी कमी,
किसी भी रिश्ते को निभाने में हमने...
आने वाले को,
दिल का रास्ता भी दिया हमने... और...

जाने वाले को, रब का वास्ता भी दिया हमने...

27 April 2017

1260


नकाब कहती है,
मैं पर्दा-ए-कयामत हूँ,
अगर यकीं न हो तो,

देख लो उठा के मुझे . . .

1259


तेरे आने की आहट . . .
और मेरे दिल का वहम ...
बस दोनों मिलकर एक यादों भरा,

दिन काट लेते है . . .

1258


समझ नही आता...
वफा करें तो किस सें करें !

मिट्टी सें बने ये लोग,
कागज के टुकड़ो पे बिक जाते है !!!

1257


लिखते लिखते आज हाथ रुक से गए ,
कुछ लम्हे याद आये कुछ भूल से गए ,
जो साथ ना होकर भी साथ हो हमारे ,
ऐसे दोस्त कहाँ खो से गए ???

1256


दिल के सच्चे
कुछ एहसास लिखते है,

मामूली शब्दों में ही सही,
कुछ खास लिखते हैं . . . !

25 April 2017

1255


कैसे ना मर मिटे
उन पर हम.......
पगली रूठ कर भी
कहती है...
सुनो......

संभल के जाना...!!!

1254


तेरी बेरुखी पे कोई
ऐतराज़ नहीं है हमें...
किस हाल में हैं हम...

इतना तो पूँछ लिया करो . . .

1253


आँखों में देख कर
वो दिल की हकीकत जानने लगे;
उनसे कोई रिश्ता भी नहीं
फिर भी अपना मानने लगे;
बन कर हमदर्द कुछ ऐसे
उन्होंने हाथ थामा मेरा;

कि हम खुदा से
दर्द की दुआ मांगने लगे।

1252


फिर इश्क़ का जूनून,
चढ़ रहा है सिर पे,
मयख़ाने से कह दो जरा की...

दरवाज़ा खुला रखे !!! 

1251


कैसे बताऊ तुम्हे ...
मुहब्बत का दर्द ...
जान जाओगी,

तो जान से जाओगी.......!

24 April 2017

1250


यह अजीब खेल है ,
मेरी जिंदगी में...
जहां याद का लफ्ज आ जाये ,

वहां तुम याद आते हो...

1249


जहर के असरदार होने से
कूछ नहीं होता जनाब,
खुदा भी राजी होना चाहिए

मौत देने के लिए…

1248


कोशिश तो होती है
की तेरी हर ख्वाहीश् पुरी करूं,
पर डर लगता है की तू
ख्वाहीश् में...

मुझसे जुदाई न मांग ले...