3426
अजीबसा नशा
होता हैं,
इश्के
शायरीमें...
वरना लिखते मीर भी
थे अच्छे !
पर
मशहूर ग़ालिब हुये.......!
3427
ये
"शायरी" भी...
"दिल" बहलानेका एक"तरीका"
हैं;
जिसे हम "पा" नहीं
सकते...
उसे"अल्फ़ाज़ों"
में जी लेते
हैं.......
3428
मिला क्या हमें,
सारी उम्र मोहब्बत
करके...
बस एक शायरीका हुनर,
याद भरी रातोका जागना.......
3429
बड़ी देर कर
दी,
मेरा दिल
तोड़नेमें...
न जाने कितने
शायर,
मुझसे आगे
चले गये.......
3430
बहुत दिनोंके बाद,
उसका कोरा कागज़
आया...
शायर हूँ साहेब,
लिखी हुई
खामोशी पढ ली
मैने...