3401
ये तो अच्छा
हैं कि,
बेरंग हैं आँसू
वरना;
किस क़दर दाग़
लिए,
फिरता हमारा चेहरा.......!
3402
आँसू जानते हैं कौन
अपना हैं,
तभी तो अपनोंके सामने टपक
जाते हैं।
मुस्कुराहटका क्या हैं...
वह तो ग़ैरोंसे भी वफ़ा
कर लेती हैं...!
3403
मेरी
आँखोंमें आँसू
नहीं,
बस कुछ नमी हैं...
वजह वो नहीं,
उनकी ये कमी हैं.......!
3404
ये मुहब्बत हैं
ज़रा
सोच समझकर
रोना
एक आँसू भी जो
टूटा
तो सुनाई देगा ।
3405
तासीर किसी भी
दर्दकी,
मीठी
नहीं होती;
वजह यहीं हैं कि,
आँसू भी
नमकीन होते हैं...!
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