3366
उम्मीदोंका दामन थाम
रहे हो,
तो
"हौसला" कायम रखना...
क्योकि...
जब नाकामियाँ "चरम" पर हों,
तो "कामयाबी" बेहद करीब
होती हैं...!
3367
मुझे किसीको
मतलबी,
कहनेका कोई
हक़ नहीं;
मैं तो खुद
अपने रबको,
मुसीबतोंमें याद करता
हूँ !
3368
आदतें खराब नहीं,
शौक बस ऊंचे
हैं...!
वरना ख्वाबकी,
इतनी औकात नहीं,
कि हम देखें,
और पूरा न
हो.......!
3369
तारीख हजार सालमें,
बस इतनीसी
बदली हैं...
तब दौर पत्थरका था,
अब लोग पत्थरके हैं...!
3370
कैसे कह दूँ
कि,
थक गया
हूँ मैं;
न जाने किस-किसका,
हौसला हूँ मैं.......!
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