22 October 2018

3461 - 3465 इश्क मोहब्बत दिल चेहरा वजूद वक़्त जज़्बात दर्द लफ्ज़ तलाश महसूस शायरी


3461
एक चेहरा पड़ा मिला,
रास्तेपर मुझे...
ज़रूर किरदार बदलते,
वक़्त गिरा होगा...
बड़ा मुश्किल हैं,
जज़्बातोको पन्नोपर उतारना...
हर दर्द महसूस करना पड़ता हैं,
लिखनेसे पहले.......!!!

3462
ज़रूरी नहीं हैं इश्कमें,
बाहोंके सहारे ही मिले,
किसीको जी भरके महसूस करना...
भी मोहब्बत हैं.......!

3463
दिलपर हाथ रखो,
और कुछ देर रहने दो;
मुझे महसूस करो...
और अपने पास ही रहने दो...!

3464
कभी लफ्ज़ोमें तलाश करना,
वजूद मेरा...
मैं उतना लिख बोल नहीं पाता,
जितना महसूस करता हूँ...!

3465
अगर एहसास हैं तो,
करलो मोहब्बतको महसूस...!
ये वो ज्ज़बा हैं जो,
लफ्ज़ोमें समझाया नहीं जाता...!

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