3491
कुछ तो बात
हैं,
तेरी फितरतमें... मेरी जान !
वरना तुझको
याद करनेकी
खता...
हम बार-बार
न करते !!!
3492
उन्हे पलभरको भी,
भूल जानेकी
कोशिश...
कभी क़ामयाब
न हुई;
उनकी याद,
शाख़-ए-गुलाब
थी...
जो हवा
चली तो,
महक
उठी.......!
3493
तुम याद करते
हो,
कुछ पलके
लिए हमें...!
हम एक पलके लिए,
भूल नहीं पाते
हैं तुम्हें...!
3494
कुछ तो धड़कता
हैं,
रूक रूककर
मेरे सीनेमें...
अब खुदा ही
जाने,
तेरी याद
हैं या मेरा
दिल...!
3495
सुनो,
मुझे पढ़कर भी...
तुम जो जवाब
नहीं देते हो
ना..."
याद करोगे जब हम
तेरे लिए...
लिखना छोड़ देंगे......."
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