12 October 2018

3411 - 3415 मोहब्बत किस्मत आँख रौशनी इंतज़ार मुलाकात बात नाराज़ याद खयाल ख्वाब शायरी


3411
रोज़ रात आते हैं वो,
मिलने ख्वाबोंमें...
मेरे सोतेही मेरी,
किस्मत जाग जाती हैं...!

3412
मिलने आयेंगे हम आपसे ख्वाबोंमें,
ये ज़रा रौशनीके दिये बुझा दीजिए;
अब नहीं होता इंतज़ार आपसे मुलाकातका...
ज़रा अपनी आँखोंके परदे तो गिरा दीजिए

3413
जाने किस बातपें
नाराज़ हैं वो हमसे...
ख्वाबोंमें भी मिलते हैं,
तो बात नहीं करते...

3414
जब किसीकी याद सताए,
हवा जब बादलोंको सहलाए,
कर लो आँखे बंद और सो जाओ,
क्या पता जिसका हैं खयाल,
वो ख्वाबोंमें जाए.......!

3415
क्यों ना हो तेरा साया,
मेरे मनपर...
मैने ख्वाबोंमें भी सिर्फ,
तुझसे जो मोहब्बतकी हैं.......!

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