3411
रोज़ रात आते
हैं वो,
मिलने
ख्वाबोंमें...
मेरे सोतेही
मेरी,
किस्मत जाग
जाती हैं...!
3412
मिलने आयेंगे हम आपसे
ख्वाबोंमें,
ये ज़रा रौशनीके दिये बुझा
दीजिए;
अब नहीं होता
इंतज़ार आपसे मुलाकातका...
ज़रा अपनी आँखोंके परदे तो
गिरा दीजिए ।
3413
न जाने किस
बातपें
नाराज़
हैं वो हमसे...
ख्वाबोंमें भी मिलते
हैं,
तो बात नहीं
करते...
3414
जब किसीकी
याद सताए,
हवा जब बादलोंको सहलाए,
कर लो आँखे
बंद और सो
जाओ,
क्या पता जिसका हैं खयाल,
वो ख्वाबोंमें आ
जाए.......!
3415
क्यों ना हो तेरा साया,
मेरे
मनपर...
मैने ख्वाबोंमें भी
सिर्फ,
तुझसे जो
मोहब्बतकी हैं.......!
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