12 October 2018

3406 - 3410 जिंदगी मुस्कान मोहब्बत पैगाम नज़र तमन्ना आदत ख्वाब खामोश आँसू शायरी


3406
आँसू वो खामोश दुआ हैं...
जो सिर्फ़ खुदा ही सुन सकता हैं

3407
जिंदगीका बहुत,
सीधासा परिचय हैं...
आँसू वास्तविक हैं,
मुस्कानमें अभिनय हैं...!

3408
रिश्तोंकी यह दुनिया हैं निराली,
सब रिश्तोंसे प्यारी हैं मोहब्बत तुम्हारी;
मंज़ूर हैं आँसू भी आँखोमें हमारी,
अगर आजाये मुस्कान होंठपें तुम्हारी।

3409
आज ना जाने क्यों आँखमें आँसू गए,
पैगाम लिखते-लिखते ख्वाब याद गए;
मिलने कि तमन्ना थी आपसे,
लेकिन आँसूमें आप नज़र गए...l

3410
बहुत तमन्ना थी,
तुम्हारा हो जानेकी...
पर क्या पता था,
कि तुम्हें आदत ही नहीं...
किसीको अपना बनानेकी.......

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