3871
"ख़्वाबसे निकलकर,
हकीकतके मोड़पर;
तू कभी मुझसे
मिल तो सही...
मोहब्बत ओढ़कर...!"
3872
मुझे मालूम हैं कि
ये ख़्वाब झूठे
हैं,
और ख्वाहिशे अधूरी हैं;
मगर जिन्दा रहनेके
लिए,
कुछ गलतफहमियाँ भी जरूरी
हैं...
3873
क्या पानीपे
लिखी थी,
मेरी
तकदीर मेरे मालिक...
हर ख़्वाब बह जाता हैं,
मेरे रंग
भरनेसे पहले
ही.......
3874
सितारोंसे भरी इस
रातमें,
जन्नतसे भी
खूबसूरत ख़्वाब आपको आये;
इतनी हसीन हो
आने वाली सुबहकी,
मांगनेसे पहले
ही आपकी हर
मुराद पूरी हो
जाये...
3875
एक ख़्वाबने आँखें
खोली हैं,
क्या
मोड़ आया हैं कहानीमें...!
वो भीग रही हैं बारिशमें,
और आग लगी हैं पानीमें...!!!