5016
तेरी तलबकी
हदने,
ऐसा
जूऩून बख्शा है
सनम...
हम नींदसे
उठ गए,
तुझे
ख़्वाबमें तन्हा
देखकर...!
5017
"ख्वाबों
की ज़मीं पर
रखा था पाँव,
छिल गया
कौन कहता है...
ख्वाब मखमली होते
है.......
5018
इतनीसी ज़िंदगी
हैं पर,
ख़्वाब
बहुत हैं...
जुर्मका तो
पता नहीं पर,
इल्ज़ाम बहुत हैं.......!
5019
न जाने सालों बाद कैसा समां होगा,
क्या पता कौन कहा होगा;
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबोंमे,
जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबोंमे.......
5020
हज़ूर आपका भी
एह्तराम करता चलूँ l
इधर से गुज़रा
था सोचा सलाम
करता चलूँ ll
निगाह-ओ-दिलकी यही आख़री
तमन्ना है l
तुम्हारी
ज़ुल्फ़के सायेमें शाम करता
चलूँ ll
उन्हे ये ज़िदके मुझे देखकर
किसीको ना
देख l
मेरा ये शौकके सबसे कलाम
करता चलूँ ll
ये मेरे ख़्वाबोंकी दुनिया नहीं
सही लेकिन l
अब आ गया
हूँ तो दो
दिन क़याम करता
चलूँ ll
शादाब लाहौरी