5056
मैं गया था
ये सोचकर,
बात बचपनकी
होगी...
और वो सब
मुझे,
अपनी तरक्की सुनाने लगे...
5057
यूँही छोटीसी
बातपर,
ताल्लुक़ात
बिगड़ जाते है...
मुद्दा होता है "सही क्या" है,
और लोग "सही
कौन" पर
उलझ जाते
है.......
5058
रोटीका कोई
धर्म नहीं होता,
पानीकी कोई
जात नहीं होती;
जहाँ इंसानियत जिन्दा है
वहाँ मजहबकी,
कोई बात
नहीं होती.......
5059
प्यार देनेसे
बेटा बिगड़े,
भेद देने से
नारी...
लोभ देनेसे
नोकर बिगड़े,
धोखा देनेसे
यारी...
5060
कभी पीठ पीछे
आपकी बात चले,
तो घबराना मत;
बात तो उन्हींकी
होती है,
जिनमें कोई बात
होती है.......!