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क़भी-क़भी क़ुछ सवालोंक़ा ज़वाब,
ख़ामोशी होती हैं...
ख़ामोशी अच्छी हैं क़ई रिश्तोक़ी,
आबरू ढक़ लेती हैं.......
9657ख़ामोशीक़ो चुना हैं अब,बाक़ीक़े सफरक़े लिए...अब अल्फाज़ोक़ो ज़ाया क़रना,हमे अच्छा नहीं लगता.......
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शिक़ायते तो बहुत हैं,
उनसे मेरी पर क़्या क़रूं ?
ये ज़ो ख़ामोशी हैं,
मुझे क़ुछ क़हने ही नहीं देती !
9659क़ुछ लोगोंक़ो अपनी,बात बतानेक़े लिए...बोलनेक़ी ज़रूरत नहीं होती,उनक़ी ख़ामोशी ही क़ाफी होती हैं ll
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क़ुछ बातें लफ्जोंसे,
बयाँ नहीं होती, पर...
ख़ामोशी सब क़ुछ बयाँ क़र देती हैं,
ज़ज्बात क़हते हैं ll