24 June 2023

9616 - 9620 दुख़ रूठ ख़ता फ़रियाद ख़ामोशी शायरी

 
9616
सुनती रहीं मैं,
सबक़े दुख़ ख़ामोशीसे...
क़िसक़ा दु:ख़ था मेरे ज़ैसा,
भूल गई.......!!!
                               फ़ातिमा हसन

9617
बोलनेसे ज़ब अपने रूठ ज़ाए...
तब ख़ामोशीक़ो अपनी ताक़त बनाएं...!

9618
ख़ामोशीक़ा हासिल भी,
इक़ लम्बीसी ख़ामोशी थी...
उनक़ी बात सुनी भी हमने,
अपनी बात सुनाई भी.......

9619
ज़ाने क़्या ख़ता हुई हमसे,
उनक़ी याद भी हमसे ज़लती हैं,
अब आँसू भी आग उगलते हैं,
ये ख़ामोशी क़ुछ तो क़हती हैं ll

9620
वहशत उस बुतने,
तग़ाफ़ुल ज़ब क़िया अपना शिआर...
क़ाम ख़ामोशीसे मैंने भी,
लिया फ़रियादक़ा.......
                            वहशत रज़ा अली क़लक़त्वी

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