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मेरी ख़ामोशीमें सन्नाटा भी हैं,
और शोर भी हैं...
मग़र तूने देख़ा हीं नहीं,
आँख़ोंमें क़ुछ और भी हैं...!!!
9522अज़ीब शोर,मचाने लगे हैं सन्नाटे...ये क़िस तरहक़ी ख़मोशी,हर इक़ सदामें हैं.......आसिम वास्ती
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बड़ी ख़ामोशीसे गुज़र ज़ाते हैं,
हम एक़ दूसरेक़े क़रीबसे...
फिर भी दिलोंक़ा शोर,
सुनाई दे हीं ज़ाता हैं.......
9524शोर ज़ितना हैं क़ाएनातमें,ये शोर मेरे अंदरक़ी ख़ामुशीसे हुआ हैं...क़ाशिफ़ हुसैन ग़ाएर
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क़भी क़ुछ क़हक़र,
ज़रा रोक़दे इन्हें...
ये ख़ामोशियाँ तेरी,
बहुत शोर क़रती हैं.......
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