21 June 2023

9601- 9605 लफ़्ज़ तलाश इश्क़ क़िस्से शौक़ पैग़ाम ख़ामोशी शायरी

 
9601
लफ़्ज़ोंक़ी क़मी तो,
क़भीभी नहीं थी ज़नाब...
हमें तलाश उनक़ी हैं,
ज़ो हमारी ख़ामोशी पढ़ लें......

9602
हक़ीक़तमें ख़ामोशी क़भीभी,
चुप नहीं रहती हैं...
क़भी तुम गौरसे सुनना,,,
बहुत क़िस्से सुनाती हैं...

9603
लोग तो सो लेते हैं,
ज़मानेक़ी चहेल पहेलमें..,.
मुझे तो तेरी ख़ामोशी,
सोने नहीं देती,,,,,,

9604
इश्क़क़े चर्चे भले हीं,
सारी दुनियामें होते होंगे,
पर दिल तो,
ख़ामोशीसे हीं टूटते हैं...,

9605
मेरी अर्ज़--शौक़ बे-मअ'नी हैं,
उनक़े वास्ते...
उनक़ी ख़ामोशी भी इक़,
पैग़ाम हैं मेरे लिए...
                              मुईन अहसन ज़ज़्बी

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