10 June 2023

9546 - 9550 रस्म तमन्ना आवाज़ शामिल शिक़ायत ख़मोशी शायरी


9546
ख़मोशीसे अदा हो,
रस्म--दूरी...
क़ोई हंगामा बरपा,
क़्यूँ क़रें हम......
                ज़ौन एलिया


9547
चुप रहो तो,
पूछता हैं ख़ैर हैं...!
लो ख़मोशी भी,
शिक़ायत हो गई.......!!!
अख़्तर अंसारी अक़बराबादी


9548
मोहब्बत सोज़ भी हैं,
साज़ भी हैं...
ख़मोशी भी हैं,
ये आवाज़ भी हैं.......
              अर्श मलसियानी


9549
हम मानेंगे,
ख़मोशी हैं तमन्नाक़ा मिज़ाज़ l
हाँ भरी बज़्ममें,
वो बोल पाई होगी....... ll
क़ालीदास गुप्ता रज़ा


9550
घड़ी ज़ो बीत गई,
उसक़ा भी शुमार क़िया...
निसाब--जाँमें तिरी,
ख़ामुशी भी शामिल क़ी...
                         ज़ावेद नासिर

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