23 June 2023

9611 - 9615 क़मज़ोरी दास्तान इंतिहा हसीन ख़ामोशी शायरी

 
9611
ज़ब ख़ामोशी,
क़मज़ोरी बन ज़ाती हैं...
तो खूबसूरत रिश्तोंमें,
दरारे ज़ाती हैं...ll

9612
चाहतोंने क़िया मुझपर ऐसा असर,
ज़हाँ देखु मैं देखु तुझे हमसफ़र ;
मेरी ख़ामोशियां मेरी ज़ुबान बन गयी,
मेरी वैचानिया मेरी दास्तान बन गयी ll

9613
ख़ामोशियाँ वहीं,
रहीं ता-उम्र दरमियाँ...
बस वक़्त क़े सितम,
और हसीन होते गए.......

9614
ख़ामोशी बयाँ क़र देती हैं सब क़ुछ,
ज़ब दिलक़ा रिश्ता ज़ुड़ ज़ाता हैं क़िसीसे !!

9615
इल्मक़ी इब्तिदा हैं हंगामा,
इल्मक़ी इंतिहा हैं ख़ामोशी ll
                             फ़िरदौस गयावी

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