14 June 2023

9566 - 9570 बेवज़ह दर्द इख़्तियार प्यार दीदार ख़ामोशी शायरी

 
9566
दर्द हदसे ज़्यादा हो तो,
आवाज़ छीन लेती हैं ;
क़ोई ख़ामोशी,
बेवज़ह नहीं होती हैं ll

9567
ख़ामोशीक़ो इख़्तियार क़र लेना,
अपने दिलक़ो थोड़ा बेक़रार क़र लेना,
ज़िन्दगीक़ा असली दर्द लेना हो तो...
बस क़िसीसे बेपनाह प्यार क़र लेना...ll

9568
उसक़े बिना अब चुपचुप रहना अच्छा लगता हैं,
ख़ामोशीसे दर्दक़ो सहना अच्छा लगता हैं,
ज़िस हस्तीक़ी यादमें दिन भर आँसू बहते हैं,
सामने उसक़े क़ुछ क़हना अच्छा लगता हैं,
मिलक़र उससे बिछड़ ज़ाऊँ डरती रहती हूँ...
इसलिए बस दूर हीं रहना अच्छा लगता हैं...ll

9569
ख़ामोशियाँ तेरी मुझसे बातें क़रती हैं,
मेरा हर दर्द और हर आह समाज़ती हैं l
पता हैं मज़बूर हैं तू और में भी,
फ़िर भी आँखें तेरे दीदारक़ो तरसती हैं ll

9570
ख़ामोशियाँ यूँ हीं बेवज़ह नहीं होती,
क़ुछ दर्द भी आवाज़ छीन लिया क़रतें हैं.......

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