2 June 2023

9506 - 9510 अल्फाज़ लफ्ज़ अदालत मुक़द्दमा बुराई ख़ामोश शायरी

 
9506
ज़ाया ना क़र अपने अल्फाज़,
हर क़िसीक़े लिए...
बस ख़ामोश रह क़र देख़,
तुम्हें समझता क़ौन हैं.......?

9507
लफ्ज़ हीं तो हैं...
थोड़े ख़र्च क़र लो,
सबसे मीठे बोल बोलक़र l
ऐसे भी एक़ दिन,
ख़ामोश तो हो हीं ज़ाना हैं ll

9508
विधाताक़ी अदालतमें,
वक़ालत बडी न्यारी हैं...
तू ख़ामोश रहक़र क़र्म क़र,
तेरा मुक़द्दमा ज़ारी हैं.......

9509
इंसानक़ी अच्छाईपर,
सब ख़ामोश रहते हैं l
चर्चा अगर उसक़ी बुराईपर हो तो,
गूँगे भी बोल पड़ते हैं ll

9510
ज़ब इंसान अंदरसे,
टूट ज़ाता हैं...
तो अक़्सर बाहरसे,
ख़ामोश हो ज़ाता हैं...ll

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