3 June 2023

9511 - 9515 मुस्तक़िल ज़हर दिल दीवाना ख़ामोश शायरी

 
9511
मुस्तक़िल बोलता हीं रहता हूँ,
क़ितना ख़ामोश हूँ मैं अंदरसे...
                                   जौन एलिया

9512
ख़ामोश रहनेक़ी आदतभी,
मार देती हैं...
तुम्हें ये ज़हर तो,
अंदरसे चाट ज़ाएगा.......
आबिद ख़ुर्शीद

9513
ख़ामोशमें हर बात बन ज़ाए हैं,
ज़ो बोले हैं दीवाना क़हलाए हैं ll
                                क़लीम आज़िज़

9514
दूर ख़ामोश बैठा रहता हूँ,
इस तरह हाल दिलक़ा क़हता हूँ ll
आबरू शाह मुबारक़

9515
बातोंक़ो क़ोई समझे,
बेहतर हैं ख़ामोश हो ज़ाना ll

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