17 June 2023

9581 - 9585 सवाल ज़वाब ज़ान हुनर तन्हाई अल्फाज़ ख़ामोशी शायरी

 
9581
ज़ान ले लेगी,
अब ये ख़ामोशी..
क़्यूँ ना झगड़ा हीं,
क़र लिया ज़ाये...!

9582
मैंने अपनी एक़,
ऐसी दुनिया बसाई हैं...
ज़िसमें एक़ तरफ ख़ामोशी,
और दूसरी तरफ तन्हाई हैं...

9583
तड़प रहे हैं हम,
तुमसे एक़ अल्फाज़क़े लिए...
तोड़ दो ख़ामोशी,
हमें ज़िन्दा रख़नेक़े लिए.......

9584
हज़ारों ज़वाबसे,
अच्छी मेरी ख़ामोशी ;
ज़ाने क़ितने सवालोंक़ी,
आबरू रख़ ली.......ll

9585
क़िताबोंसे ये हुनर,
सिख़ा हैं हमने...!
सब क़ुछ छिपाए रख़ो,
खुदमें मगर ख़ामोशीसे...!!!

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