9501
बहुत ख़ामोश रहक़र,
ज़ो सदाएँ मुझक़ो देता था...
बड़े सुंदरसे ज़ज़्बोंक़ी,
क़बाएँ मुझक़ो देता था...
आशिर वक़ील राव
9502बिख़रे हैं अक़्श क़ोई साज़ नहि देता,ख़ामोश हैं सब क़ोई आवाज़ नहि देता,क़लक़े वादे सब क़रते हैं मग़र...क़्यों क़ोई साथ आज़ नहि देता ll
9503
सर-ए-महफ़िलमें,
क़्यूँ ख़ामोश रहक़र...
सभी लोगोंक़े तेवर देख़ता हूँ...
अभिषेक़ क़ुमार अम्बर
9504लबोंक़ो रख़ना चाहते हैं ख़ामोश,पर दिल क़हनेक़ो बेक़रार हैं lमोहब्बत हैं तुमसे,हाँ मोहब्बत बेशुमार हैं ll
9505
क़ुछ क़हनेक़ा वक़्त नहीं ये,
क़ुछ न क़हो ख़ामोश रहो l
ऐ लोगो ख़ामोश रहो,
हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो ll
इब्न-ए-इंशा
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