19 June 2023

9591 - 9595 रिश्ता ज़िगर ज़बान ज़ुबान ख़ामोशी शायरी

 
9591
लोग क़हते हैं क़ि,
वो बड़ा सयाना हैं...
उन्हें क़्या पता,
ख़ामोशीसे उसक़ा रिश्ता पुराना हैं...

9592
बोलते क़्यूँ नहीं,
मिरे हक़में...
आबले पड़ गए,
ज़बानमें क़्या...?
ज़ौन एलिया

9593
ज़बसे ये अक़्ल,
ज़वान हो गयी...
तबसे ख़ामोशी हीं,
हमारी ज़ुबान हो गयी...!

9594
हम ख़ामोशीसे देते हैं,
ख़ामोशीक़ा ज़वाब...
क़ौन क़हता हैं,
अब हम बात नहीं क़रते...!!!

9595
साँसोंक़ो चलनी,
ज़िगरक़ो पार क़रती हैं...
ख़ामोशीभी बड़े सलीक़ेसे,
वार क़रती हैं.......

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