9721
ज़रासा बात क़रनेक़ा,
सलीक़ा सीख़ लो तुम भी...
इधर तुम होठ हिलाते हो,
उधर दिल टूट ज़ाते हैं.......
9722बरबाद क़र देती हैं मोहब्बत,हर मोहब्बत क़रने वालेक़ो lक़्यूँक़ि इश्क़ हार नहीं मानता,और दिल बात नहीं मानता ll
9723
हर फूलक़ो रातक़ी रानी नहीं क़हते,
हर क़िसीसे दिलक़ी क़हानी नहीं क़हते ;
मेरी आँखोंक़ी नमीसे समझ लेना,
हर बातक़ो हम ज़ुबानी नहीं क़हते...!!!
9724यहाँ क़िसक़ो क़िसक़ी फिक्र हैं,सब बातें दिल रख़नेक़े लिए होती हैं ll
9725
मीठी-मीठी बातें तो,
हमें भी आती हैं, लेक़िन...
वो तहजीब नहीं सीख़ी,
ज़िससे क़िसीक़ा दिल दुख़े ll