5 December 2017

2036 - 2040 मुहब्बत आँसु सवाल वजूद वजह याद साथ आजाद तजुर्बे बात दर्द दवाई मौसम बारिश शायरी


2036
देखना ...
एक दिन बदल जाऊंगा,
पूरी तरह मैं...
तुम्हारे लिए न सही...
लेकिन ...
तुम्हारी वजहसे ही सही.......

2037
राख होता हुआ वजूद,
मुझसे थककर सवाल करता हैं...
मुहब्बत करना तेरे लिए,
इतना ही जरुरी था क्या...?

2038
सारा दिन तो बाँध कर
रखता हूँ मैं इन आँसुओंको,
पर रातको आजाद हो ही जाते ओं
तेरी यादोंके साथ !!!

2039
तजुर्बेने एक बात सिखाई हैं...
एक नया दर्द ही,
पुराने दर्दकी दवाई हैं.......

2040
क्या रोग दे गई हैं
ये नए मौसमकी बारिश,
मुझे याद आ रहे हैं...
मुझे भूल जानेवाले !!!

No comments:

Post a Comment