26 December 2017

2126 - 2130 दिल जिंदगी दुनियाँ काम खूबसूरत हसीन मुक़द्दर बाज़ार फिक्र मंजिल कदम नसीब दस्तक कतरा वक्त चोट शायरी हैं हीं


2126
किसीके काम ना आए,
तो आदमी क्या हैं....!!
जो अपनी ही फिक्रमें गुजरे,
वो जिंदगी क्या हैं.......!!!

2127
बहुत मिलेंगें हसीन चेहरे ...
इस दुनियाँके बाज़ारमें ;
वो मुक़द्दरसे मिलता हैं ...
जिसका 'दिल' खूबसूरत होता हैं ।

2128
मंजिल मेरे कदमोंसे,
अभी दूर बहुत हैं...
मगर तसल्ली ये हैं कि,
कदम मेरे साथ हैं...!!!

2129
आज फिर दस्तक हुयी हैं
मेरे दरवाजेपर,
देखूँ तो सही नसीब हैं
या कोई मतलबी.......

2130
कतरा कतरा ये वक्त,
पिघलता चला गया...
लगी चोटपें चोट मग़र,
मैं सम्भलता चला गया.......

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