30 December 2017

2146 - 2150 दिल ज़िन्दगी बारिश बात याद खुदकुशी उम्मीद आईना जहर राजी खुशी आँसू असर कोशिश वक़्त शायरी


2146
बारिशमें चलनेसे
एक बात याद आई..!!
इंसान जितना संभलके कदम बारिशमें रखता हैं,
उतना संभलकर ज़िन्दगीमें रखे तो
गलतीकी गुन्जाई ही न हो...!

2147
शायरी खुदकुशीका धंधा हैं,
लाश अपनी हैं अपना ही कंधा हैं...
आईना बेचता फिरता हैं शायर,
उस शहरमें जो शहर अंधा हैं...

2148
जहरके असरदार होनेसे,
कुछ नहीं होता,
खुदा भी राजी होना चाहिए,
मौत देनेके लिये !!

2149
हजारो मिठाईयाँ चखी हैं जमानेंमें,
खुशीके आँसूसे मीठा कुछ भी नहीं

2150
कोशिश तो रोज़ करते हैं
के वक़्तसे समझौता करलें...
कम्बख़्त दिलके कोनेमें
छुपी उम्मीद मानती ही नहीं...

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