19 December 2017

2096 - 2100 वफ़ा उम्मीद मोहब्बत हसरत बात याद जहन शौक अरमान इंतेहा सितम बेवफ़ा सब्र पल ख्वाब याद बात तकलीफ शायरी


2096
नहीं रहा जाता तेरे बिना...
इसीलिए तुझसे बात करते हैं l
वरना हमें भी कोई शौक नहीं हैं,
तुझे यूँ सतानेका.......

2097
अरमान ही बरसो तक,
जला करते हैं,
इंसान तो बस इक पलमे हीं,
खाक हो जाता हैं...

2098
चली आती हैं...
तेरी याद मेरे जहनमें अक्सर...
तुझे हो ना हो...
तेरी यादोंको जरूर मुझसे मोहब्बत हैं...!

2099
"ना पूछ मेरे सब्रकी इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ाकी उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना हैं, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं..."

2100
बहुत तकलीफ देता हैं...
ख्वाबोंका,
ख्वाब रह जाना . . .

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