18 December 2017

2086 - 2090 दिल प्यार मोहब्बत याद लख्ते जिगर दुश्वार नजर मेहफिल दर्द वक़्त बहार करार इंतज़ार शायरी


2086
उनको आती नहीं हमारी याद अभी,
लख्ते जिगर कहां करते थे हमे शायद कभी,
उनसे नजरे भी मिलाना दुश्वार हो गया,
जो मेहफिलमें बुलाया करते थे खुद कभी...

2087
फूल उसे देना, जो बहार जानता हो...
दर्द उसे देना, जो करार जानता हो...
वक़्त उसे देना, जो इंतज़ार जानता हो...
और दिल उसे देना, जो प्यार जानता हो !!!

2088
कोई खुशियोंकी चाहमें रोया,
कोई दुखोंकी पनाहमें रोया,
अजीब सिलसिला हैं ये जिन्दगीका,
कोई भरोसेक़े लिए रोया तो कोई भरोसा करक़े रोया...

2089
न ख्वाहिशें हैं न शिकवे हैं
अब न ग़म हैं कोई,
ये बेख़ुदी भी कैसे कैसे
ग़ुल खिलाती हैं।

2090
बदल गया वक़्त,
बदल गयी बातें,
बदल गयी मोहब्बत,
कुछ नहीं बदला तो वो हैं,
इन आँखोंकी नमी और तेरी कमी !!!

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