2091
ये मत पूछ के,
एहसासकी शिद्दत क्या थी,
धूप ऐसी थी के,
सायेको भी जलते देखा।
2092
इश्क़ नहीं हैं तुमसे,
जो तुमसे हैं...
उसके लिए कोई
लफ्ज़ नहीं.......
2093
हाथकी लकीरें भी
कितनी अजीब हैं...
कम्बख्त मुठ्ठीमें हैं
लेकिन काबूमें नहीं...!!!
2094
तू ही बता...
किस कोनेमें सुखाऊँ यादें तेरी...
बरसात...
बाहर भी हैं और भीतर भी.......
2095
दिलको इसी फ़रेबमें,
रखा हैं उम्रभर;
इस इम्तिहांके बाद,
कोई इम्तिहां नहीं.......!
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