7 December 2017

2046 - 2050 दिल दर्द जिन्दगी निगाह आहट प्यास सूरत उदास मंजिल मुश्किल नजरियाँ शायरी


2046
इस दिलको किसीकी आहटकी आस रहती हैं,
निगाहको किसी सूरतकी प्यास रहती हैं,
तेरे बिना जिन्दगीमें कोई कमी तो नही,
फिरभी तेरे बिना जिन्दगी उदास रहती हैं...

2047
लोग हर मंजिलको मुश्किल समझते हैं,
हम हर मुश्किलको मंजिल समझते हैं,
बडा फर्क हैं लोग और हमारे नजरियाँमें,
लोग दिलको दर्द और हम दर्दको दिल समझते हैं...

2048
"लोग कहते हैं,
समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं,
मैं अरसेसे ख़ामोश हूँ,
वो बरसोंसे बेख़बर हैं...

2049
"चाँदका क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उनसे क्या कहे वो तो सच्चे थे,
शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली"...

2050
एक ख़्वाब ही था,
जिसने साथ ना छोड़ा...!!
हक़ीक़त तो बदलती रही,
हालातोंके साथ...!!!

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