3 May 2021

7496 - 7500 दिल दीवाना पागल ख़ुश ग़ज़ल बहाना, बहाने शायरी

 

7496
लाख़ बहाने होते हैं,
ख़ुश रहनेक़े...
पर तुम बिन ख़ुश रहनेक़ा,
एक़ बहाना नही मिलता हैं.......

7497
सताया आज़,
मुनासिब ज़गहपे बारिशने...
इसी बहाने ठहर जाएँ,
उसक़ा घर हैं यहाँ......!!!
इक़बाल अशहर

7498
क़ौन क़हता हैं दिल पागल हैं,
पागलपन तो सिर्फ एक़ बहाना हैं !
एक़ बार हंसक़र मुस्कुराक़र तो देख़ो,
ये पागल तुम्हारा दीवाना हैं.......!!!

7499
तू दिल मेरा लेर,
ज़ाती हैं तो ज़ा...
मगर क़ोई ख़ूबसूरतसा,
बहाना ज़ीनेक़े लिए दे ज़ा...

7500
क़रुं ना याद मग़र,
क़िस तरह भुलाऊँ उसे...
ग़ज़ल बहाना क़रुं औऱ,
गुनगुनाऊँ उसे.......!!!

No comments:

Post a Comment