3 May 2021

7501 - 7505 दिल इश्क़ बात निगाह नाक़ाम महबूब हसरत बहाना, बहाने शायरी

 

7501
नाक़ाम हसरत--फ़साना,
तमाम लिख़े जा रहा हूँ...
चलो इसी बहानें दोस्तोंक़ा,
दिल तो बहला रहा हूँ.......

7502
मेरे महबूब यूँ इश्क़में,
बहाने बनाने छोड़ दे l
ज़ाना हैं तो ज़ा पर,
क़िश्तोंमें आना छोड़ दे ll

7503
उस शख़्शसे रिश्ता,
क़ोई पुराना लगता हैं...
मिलना यक़ायक़ यूँ तो,
इक़ बहाना लगता हैं.......

7504
तेरी मानूस निगाहोंक़ा,
ये मोहतात पयाम...
दिलक़े ख़ूंक़ा,
एक़ और बहाना ही हो...
साहिर लुधियानवी

7505
ये रोज़ रोज़क़े बहाने बनाना,
हमें नहीं आता...
तुमसे क़ोई बात छिपानाभी,
हमें नहीं आता.......!

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