5 May 2021

7511 - 7515 दिल धड़क़न वफ़ा दामन ज़िन्दगी बेज़ान बात मज़बूर बहाना, बहाने शायरी

 

7511
सच तो ये हैं,
फूलक़ा दिल भी छलनी हैं...
हँसता चेहरा एक़,
बहाना लगता हैं...
                           क़ैफ़ भोपाली

7512
दिल हैं तो धड़क़नेक़ा,
बहाना क़ोई ढूँढ़े...l
पत्थरक़ी तरह,
बेहिस--बेज़ानसा क्यूँ हैं...?

7513
बहाना क़ोई तो,
ज़िन्दगी दे...
क़ि ज़ीनेक़े लिए,
मज़बूर हो ज़ाऊँ......!

7514
दामन--सब्र छोड़ेंगे,
क़भी अहल--वफ़ा;
तुम बनाओगे मिरी,
ज़ान बहाने क़ितने...ll
अतयब एज़ाज़

7515
बहुत उदास हैं क़ोई,
तेरे चुप हो ज़ानेसे...
हो सक़े तो बात क़र ले,
क़िसी बहानेसे.......!

No comments:

Post a Comment