30 May 2021

7571 - 7575 ज़माना मिज़ाज़ दर्द रुस्वाई मोहलत ज़हर वज़ूद मौत शायरी

 

7571
मौतसा मिज़ाज़ हैं मेरा,
दर्द भी हैं...
रुस्वाई भी.......

7572
अपने वज़ूदपर,
इतना इतरा, ज़िन्दगी...
वो तो मौत हैं,
जो तुझे मोहलत देती ज़ा रही हैं...!

7573
ज़हर पीनेसे,
क़हाँ मौत आती हैं...
मर्जी ख़ुदाक़ी भी चाहिए,
मौतक़े लिए.......!!!

7574
मौत, उन्हें भुलाये,
ज़माने ग़ुज़र गए...
आज़ाक़े ज़हर ख़ाये,
ज़माने ग़ुज़र गए...!!!

7575
ख़ुदा, इन्साफ़ क़र,
हम मज़लूम आशिक़ोंक़ा l
इश्कक़ो सज़ा--मौत दे,
हमें बाइज्ज़त बरी क़र...ll

No comments:

Post a Comment